क्रिया किसे कहते हैं | Sakarmak Or Akarmak Kriya Kise Kahte Hai
Sakarmak Or Akarmak Kriya:- क्रिया को व्याकरणिक रूप से दिया गया है जो किसी कार्य, गतिविधि, या क्रियान्वय को दर्शाने वाले शब्दों को संदर्भित करता है। क्रिया वाक्य की प्रधान भूमिका निभाती है और क्रिया के माध्यम से ही कार्य का व्यक्ति और संघटन दोनों का वर्णन किया जाता है। वे शब्द जो किसी कार्य, स्थिति, अवस्था, या घटना को व्यक्त करते हैं, सब क्रियाएं कहलाती हैं।
क्रिया के उदाहरण इस प्रकार हो सकते हैं: खाना, पीना, चलना, बोलना, लिखना, पढ़ना, सोना, उठना, बनाना, तोड़ना, लड़ना, सोचना, समझना, जानना, बोलना, और देखना।
क्रिया को विभाजित किया जा सकता है तीन विभागों में: कर्तरि (कर्म), भाव और आश्रय। कर्तरि विभाग में क्रियाएं उस व्यक्ति, जीव या वस्तु के संबंध में होती हैं जो क्रिया कर रहा होता है। भाव विभाग में क्रियाएं उस भाव को दर्शाती हैं जो क्रिया करने वाले के मन में होता है। आश्रय विभाग में क्रियाएं उस वस्तु या स्थान के संबंध में होती हैं
क्रिया की परिभाषा | Kriya Ki Paribhasha
क्रिया (Verb) व्याकरण में एक महत्वपूर्ण भाग है जो किसी क्रिया, गतिविधि, या कार्य को व्यक्त करने वाले शब्दों को संदर्भित करता है। क्रिया वाक्य की प्रमुख भूमिका निभाती है और क्रिया के माध्यम से ही कार्य का वर्णन किया जाता है।
क्रिया एक कार्य या हरकत होती है जो व्यक्ति, जीव, वस्तु या स्थान के संबंध में होती है। इसे वाक्य में कार्य के रूप में प्रदर्शित किया जाता है और इसके द्वारा कार्य का समय, स्थान, उपभोक्ता और अन्य परिस्थितियाँ दर्शाई जाती हैं।
क्रिया के उदाहरण:
- वह खेल रहा है। (खेलना – क्रिया)
- मैं गाना गाता हूँ। (गाना – क्रिया)
- वह तेज दौड़ रही है। (दौड़ना – क्रिया)
- बारिश हो रही है। (होना – क्रिया)
- मेरे दोस्त बात कर रहे हैं। (बात करना – क्रिया)
क्रिया को विभाजित किया जा सकता है तीन विभागों में: कर्तरि (कर्म), भाव और आश्रय। कर्तरि विभाग में क्रियाएं उस व्यक्ति, जीव या वस्तु के संबंध में होती हैं जो क्रिया रहा होता है। भाव विभाग में क्रियाएं उस भाव को दर्शाती हैं जो क्रिया करने वाले के मन में होता है। आश्रय विभाग में क्रियाएं उस वस्तु या स्थान के संबंध में होती हैं जहाँ क्रिया होती है।
क्रिया की परिभाषा इस प्रकार हो सकती है | Sakarmak Or Akarmak Kriya Kise Kahte Hai
“क्रिया व्याकरणिक रूप से कार्य, गतिविधि या क्रियान्वय को व्यक्त करने वाले शब्दों को संदर्भित करती है। इसे वाक्य की प्रमुख भूमिका निभाने वाली कहा जाता है और इसके माध्यम से कार्य का विवरण किया जाता है, जैसे कि कार्य का समय, स्थान, उपभोक्ता आदि।”
यह उदाहरण आपको क्रिया की परिभाषा समझने में मदद करेंगे। क्रिया व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है और भाषा के संरचनात्मक और सांद्रव्यिक पहलुओं को समझने में मदद करता है।
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क्रिया के भेद | Kriya Ke Bhed
क्रियाओं के विभेद के आधार पर व्याकरणिक द्रष्टिकोण से वे निम्नलिखित भेदों में विभाजित की जा सकती हैं:
- कर्म क्रिया (Transitive Verb): इस भेद में क्रिया वह होती है जिसे कर्ता एक वस्तु के साथ करता है और जिसे कार्य करने का उपभोक्ता या कर्मी वस्तु के रूप में कहा जाता है। उदाहरण के लिए: “मैं एक पुस्तक पढ़ रहा हूँ।” यहां, “पढ़ना” को कर्म क्रिया माना जाता है और “पुस्तक” को कर्मी वस्तु माना जाता है जिसे कार्य किया जाता है।
- भाव क्रिया (Intransitive Verb): इस भेद में क्रिया वह होती है जिसे कर्ता के साथ नहीं किया जा सकता है और जो केवल कर्ता की स्थिति, अवस्था, भाव या गुण का वर्णन करती है। उदाहरण के लिए: “सूरज चमक रहा है।” यहां, “चमकना” भाव क्रिया माना जाता है जो सूरज की स्थिति या अवस्था का वर्णन कर रही है।
- सहायक क्रिया (Auxiliary Verb): इस भेद में क्रिया वह होती है जो पूर्व में प्रमुख क्रिया को सहायता प्रदान करती है और वाक्य के काल, प्रकार, या परिवर्तन को व्यक्त करती है। सहायक क्रियाएं भाषा की संवर्धन करती हैं और वाक्य को सम्पूर्ण अर्थ प्रदान करने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए: “मैं खा रहा हूँ।” यहां, “रहना” सहायक क्रिया है जो “खाना” के साथ मिलकर वाक्य का काल और प्रकार दर्शाती है।
- मूल क्रिया (Main Verb): यह क्रिया वाक्य की प्रमुख क्रिया होती है जो कार्य या गतिविधि को प्रदर्शित करती है। इसे सहायक क्रिया या क्रिया के साथ मिलकर पूर्ण किया जाता है। उदाहरण के लिए: “वह गाता है।” यहां, “गाना” मूल क्रिया है जो व्यक्ति की गतिविधि को दर्शाती है।
ये थे कुछ प्रमुख क्रिया के भेद। व्याकरणिक दृष्टिकोण से इन भेदों को समझने से हमें क्रिया के वाक्य में उनकी उपयोगिता और संरचना को बेहतर रूप से समझने में मदद मिलती है।
सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं | Sakarmak Kriya Kise Kahte Hai
Sakarmak Or Akarmak Kriya:- सकर्मक क्रिया उन क्रियाओं को कहा जाता है जिनमें क्रियाकारक वस्तु की उपस्थिति होती है और जिन्हें कर्ता वस्तु के साथ करता है। इन क्रियाओं को अन्यत्र कहा जाने परंतु सकर्मक क्रिया अथवा कर्मवाचक क्रिया ही कहा जाता है।
इसके उदाहरण के रूप में निम्नलिखित क्रियाएं सकर्मक क्रियाओं की एक छोटी सूची है:
- पेंसिल लिखना
- किताब पढ़ना
- फल खाना
- घर सजाना
- पंक्ति गाना
इन सकर्मक क्रियाओं में, क्रियाकारक वस्तु (पेंसिल, किताब, फल, घर, पंक्ति) का उल्लेख होता है और क्रिया का कार्य कर्ता (व्यक्ति) द्वारा किया जाता है। इन क्रियाओं के द्वारा कार्य की प्राप्ति, उपयोग, या बदलाव होते हैं।
अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं | Akarmak Kriya Kise Kahte Hai
Sakarmak Or Akarmak Kriya:- अकर्मक क्रिया उन क्रियाओं को कहा जाता है जिनमें क्रियाकारक वस्तु की उपस्थिति नहीं होती है और जिन्हें कर्ता वस्तु के साथ नहीं करता है। इन क्रियाओं को अन्यत्र कहा जाने परंतु अकर्मक क्रिया या निष्कर्मक क्रिया ही कहा जाता है।
इसके उदाहरण के रूप में निम्नलिखित क्रियाएं अकर्मक क्रियाओं की एक छोटी सूची है:
- सोना (जाग्रत अवस्था में नहीं सोना)
- चलना (किसी विशेष स्थान के साथ नहीं चलना)
- बैठना (किसी विशेष स्थान पर नहीं बैठना)
- देखना (किसी विशेष वस्तु को देखने के साथ नहीं देखना)
- सुनना (किसी विशेष ध्वनि को सुनने के साथ नहीं सुनना)
इन अकर्मक क्रियाओं में, क्रियाकारक वस्तु की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती है और क्रिया का कार्य कर्ता (व्यक्ति) द्वारा नहीं किया जाता है। इन क्रियाओं के द्वारा कार्य की प्राप्ति, उपयोग, या बदलाव नहीं होते हैं।
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