Akbar Or Birbal Ki Kahani | बीरबल की चालाकी की कहानी
Akbar Or Birbal Ki Kahani:- बीरबल की चालाकी (Birbal’s Cleverness) कहानी बहुत ही प्रसिद्ध है। इस कहानी में बीरबल अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करते हैं।
कहानी:
एक दिन, अकबर अपने दरबार में बैठे थे, और उनके मंत्री और ख़ज़ानदार उनसे एक चुटकुला सुनाने के लिए तैयार थे।
मंत्री ने कहा, “बादशाह जी, हमें एक आपके सवाल का जवाब चाहिए।”
अकबर ने इसकी अनुमति दी और सवाल पूछने का स्वर दिया।
मंत्री ने कहा, “बादशाह जी, आपके दो दोस्त हैं, एक अमीर और एक गरीब। आपको एक दोस्त को चुनना है जिसे आप अपना सबसे अच्छा दोस्त मानेंगे।”
अकबर ने सोचा कि यह सवाल आसान है, और उन्होंने तुरंत उत्तर दिया, “मैं अपने गरीब दोस्त को चुनता हूँ, क्योंकि मैं गरीबों का भी दिल करीब ही रखता हूँ।”
मंत्री ने मुस्कुराया और फिर अपने अच्छे दोस्त की तरफ इशारा किया। यह दोस्त अमीर दोस्त था, और वह ख़ज़ानदार के पास चला गया।
अकबर थोड़ी देर तक चिंतित रहे, फिर उन्होंने मंत्री से पूछा, “तुमने अपने अच्छे दोस्त को क्यों चुना, मंत्री?”
मंत्री ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “बादशाह जी, आपने अच्छे दोस्त को चुना है, यह तो स्वाभाविक है। लेकिन यह सवाल था कि आप किसे अपना सबसे अच्छा दोस्त मानते हैं, और आपने तो हमें अपना अच्छा दोस्त के बारे में बताया ही नहीं।”
अकबर को इस समझ में आया कि उनसे एक महत्वपूर्ण तथ्य छूपा दिया गया था, और वह मंत्री की चालाकी को समझ नहीं पाए।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुद्धिमत्ता और विचारशीलता का महत्व है, और हमें सवालों को ध्यान से सुनना चाहिए और उनका ठीक उत्तर देने से पहले विचार करना चाहिए। बीरबल ने इस कहानी में अपनी चालाकी से अकबर को समझाया कि उसने जवाब नहीं दिया था, जो सवाल की मांग थी।
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बीरबल की ख़िचड़ी की कहानी | Akbar Or Birbal Ki Kahani
“बीरबल की खिचड़ी” एक प्रसिद्ध अकबर-बीरबल की कहानी (Akbar Or Birbal Ki Kahani) है जो बीरबल की बुद्धिमत्ता और चालाकी को दिखाती है।
कहानी:
एक दिन, अकबर बहुत ही प्राकृतिक और बिना सोचे समझे फ़ैसले लेने का आलम में थे। उन्होंने तय किया कि वे एक हफ्ते तक सब जनरल ख़ाना नहीं खाएंगे और उनका खाना उनके प्रजा के साथ बाँटा जाएगा।
उन्होंने खुद ही सब ख़ाना बाँटने का काम किया, और हर दिन एक नई चीज़ खाने के बाद एक नया निर्णय लिया। इसके बाद कुछ दिनों बाद, उन्होंने तय किया कि वे एक हफ्ते के बाद ख़िचड़ी खाएंगे।
ख़िचड़ी के दिन, अकबर के दरबार में एक बड़ा भंडार बनाया गया, और सब लोग उसमें ख़िचड़ी के लिए खड़े हो गए। अकबर ने एक स्थिति तय की कि वे ख़िचड़ी तब तक खाने के लिए नहीं आएंगे जब तक कोई ऐसा इंसान नहीं आता जो पूरे शहर से संतुष्ट नहीं हो जाता।
बहुत सी तय करी गई तारीख़ों के बाद, एक गरीब आदमी दरबार में आया और कहा, “महाराज, मुझे ख़िचड़ी नहीं पसंद है।” उसके इस बयान से सब लोग चौंके और अकबर के फ़ैसले के बारे में सोचने लगे।
बीरबल ने इस गरीब आदमी से बात की और पूछा, “तुम्हें ख़िचड़ी क्यों नहीं पसंद?”
गरीब आदमी ने जवाब दिया, “ख़िचड़ी में बहुत सारी चीज़ें मिली होती हैं, और मेरा दिल नहीं मानता कि एक इंसान के पास इतनी सारी चीज़ें हो सकती हैं।”
इसके बाद, बीरबल ने अकबर से यह सिखाया कि विचारशीलता और तर्क से निर्णय लेने का महत्व होता है और वे इसे ध्यान में रखें। ख़िचड़ी की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुद्धिमत्ता और तर्क से समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए और हमें विचारशीलता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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