संज्ञा किसे कहते हैं | Sangya ki paribhasha
संज्ञा (Sangya) को व्याकरणिक भाषा में “नामवाचक” कहा जाता है। संज्ञा शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव, गुण, क्रिया, आदि को प्रदर्शित करने वाला शब्द होता है। संज्ञा शब्दों का प्रयोग वाक्य में नामकरण के लिए किया जाता है और उनके द्वारा व्यक्ति, वस्तु या भाव को पहचाना जाता है। उदाहरण के लिए, “पुस्तक”, “गाय”, “सुंदरता”, “भाग्य” आदि संज्ञा शब्द हैं।
संज्ञा के उदाहरण | Sangya Ke Udhahran
यहाँ कुछ संज्ञा के उदाहरण दिए जाते हैं:
- गुलाब (Gulab) – rose
- पुस्तक (Pustak) – book
- बालक (Balak) – boy
- माता (Mata) – mother
- सूर्य (Surya) – sun
- शहर (Shahar) – city
- वन (Van) – forest
- सुंदरता (Sundarta) – beauty
- प्यार (Pyar) – love
- खुशी (Khushi) – happiness
ये उदाहरण संज्ञा शब्दों को दर्शाते हैं जो व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव या गुण को प्रदर्शित करने के लिए प्रयोग होते हैं।
संज्ञा के भेद | Sangya Ke Bhed
संज्ञा के व्याकरणिक भेदों को निम्नलिखित ढंग से वर्गीकृत किया जा सकता है:
- व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyaktivachak Sangya): जो किसी व्यक्ति को प्रदर्शित करती हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। उदाहरण: लड़का, लड़की, आदमी, औरत, शिक्षक, विद्यार्थी आदि।
- वस्त्रीवाचक संज्ञा (Vastryavachak Sangya): जो किसी वस्त्र को प्रदर्शित करती हो, उसे वस्त्रीवाचक संज्ञा कहते हैं। उदाहरण: कमीज, पैंट, साड़ी, ब्लाउज, कोट, टी-शर्ट आदि।
- स्थानवाचक संज्ञा (Sthanvachak Sangya): जो किसी स्थान को प्रदर्शित करती हो, उसे स्थानवाचक संज्ञा कहते हैं। उदाहरण: घर, बाजार, स्कूल, अस्पताल, पार्क, मंदिर, दफ़्तर आदि।
- भूतकालिक संज्ञा (Bhootkalik Sangya): जो किसी घटना को प्रदर्शित करती हो, उसे भूतकालिक संज्ञा कहते हैं। उदाहरण: बारिश, आंधी, तूफ़ान, जगह आदि।
- भाववाचक संज्ञा (Bhavvachak Sangya): जो किसी भाव को प्रदर्शित करती हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। उदाहरण: प्यार, खुशी, दुःख, अभिमान, निराशा, सम्मान आदि।
- जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya): जो किसी जाति को प्रदर्शित करती हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। उदाहरण: गाय, भालू, बंदर, सियार, बाघ, हाथी आदि।
ये विभिन्न संज्ञा के भेद हैं जो व्याकरण में प्रयोग होते हैं।
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व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyaktivachak Sangya)
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Sangya) वह संज्ञा होती है जो किसी व्यक्ति को प्रदर्शित करती है। यह संज्ञा उस व्यक्ति का नाम या विशेषण हो सकती है। व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ व्यक्ति की पहचान, वर्णन या विशेषताओं को संकेतित करने के लिए प्रयोग होती हैं।
यहां कुछ उदाहरण व्यक्तिवाचक संज्ञाओं के दिए जाते हैं:
- लड़का (Ladka) – boy
- लड़की (Ladki) – girl
- माता (Mata) – mother
- पिता (Pita) – father
- दोस्त (Dost) – friend
- शिक्षक (Shikshak) – teacher
- डॉक्टर (Doctor) – doctor
- बालक (Balak) – child (boy)
- बालिका (Balika) – child (girl)
- पुरुष (Purush) – man
- स्त्री (Stri) – woman
इन संज्ञाओं के द्वारा व्यक्तियों को पहचाना जा सकता है और उनकी स्थिति, गुण, व्यक्तित्व आदि का वर्णन किया जा सकता है।
वस्त्रीवाचक संज्ञा (Vastryavachak Sangya)
वस्त्रीवाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जो किसी वस्त्र (कपड़ा) को प्रदर्शित करती है। यह संज्ञा वस्त्र के प्रकार, आकार, रंग, पहनावा आदि को संकेतित करती है। वस्त्रीवाचक संज्ञाएँ हमें वस्त्रों के बारे में जानकारी देती हैं और उन्हें वर्णन करने में मदद करती हैं।
यहां कुछ उदाहरण वस्त्रीवाचक संज्ञाओं के दिए जाते हैं:
- साड़ी (Sari) – saree
- कमीज (Kameez) – shirt
- पैंट (Paint) – pants
- ब्लाउज (Blouse) – blouse
- टी-शर्ट (T-shirt) – T-shirt
- स्कर्ट (Skirt) – skirt
- कुर्ता (Kurta) – traditional tunic
- जैकेट (Jacket) – jacket
- सूट (Suit) – suit
- शरारा (Sharara) – flared pants
इन संज्ञाओं के द्वारा वस्त्रों को पहचाना जा सकता है और उनकी विशेषताओं और प्रयोग के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
स्थानवाचक संज्ञा (Sthanvachak Sangya)
स्थानवाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जो किसी स्थान (जगह) को प्रदर्शित करती है। यह संज्ञा विशेष स्थानों को संकेतित करती है और उन्हें वर्णन करने में मदद करती है। स्थानवाचक संज्ञाएँ हमें जगहों, स्थलों, नगरों, देशों आदि के बारे में बताती हैं।
यहां कुछ उदाहरण स्थानवाचक संज्ञाओं के दिए जाते हैं:
- घर (Ghar) – house
- बाजार (Bazaar) – market
- स्कूल (School) – school
- अस्पताल (Aspatal) – hospital
- पार्क (Park) – park
- मंदिर (Mandir) – temple
- दफ़्तर (Daftar) – office
- शहर (Shahar) – city
- गांव (Gaon) – village
- देश (Desh) – country
इन संज्ञाओं के द्वारा हम किसी स्थान को पहचान सकते हैं और उसकी स्थिति, विशेषताएँ और महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
भूतकालिक संज्ञा (Bhootkalik Sangya)
भूतकालिक संज्ञा वह संज्ञा होती है जो किसी भूतकाल (पश्चात्तापी) की घटना को प्रदर्शित करती है। यह संज्ञा विभिन्न पश्चात्तापी कार्यों, घटनाओं, युद्धों, आंतरिक विकास के दौरान हुई घटनाओं, आदि को संकेतित करती है। भूतकालिक संज्ञाएँ वर्तमान से पहले हुए घटनाओं का वर्णन करती हैं।
यहां कुछ उदाहरण भूतकालिक संज्ञाओं के दिए जाते हैं:
- युद्ध (Yuddh) – war
- आंधी (Aandhi) – storm
- तूफ़ान (Toofan) – hurricane
- भूकंप (Bhukamp) – earthquake
- महामारी (Mahamari) – epidemic
- आग (Aag) – fire
- आतंकवाद (Atankvad) – terrorism
- तंत्रता संग्राम (Swatantrata Sangram) – independence struggle
- ग़लती (Galti) – mistake
- दंगा (Danga) – riot
इन संज्ञाओं के द्वारा हम पश्चात्तापी घटनाओं को पहचान सकते हैं और उनकी प्रकृति, प्रभाव और महत्व के बारे में विवरण प्राप्त कर सकते हैं।
भाववाचक संज्ञा (Bhavvachak Sangya)
भाववाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जो किसी भाव, भावना, या भावावस्था को प्रदर्शित करती है। यह संज्ञा व्यक्ति की भावना, भावों, मनोभाव और व्यक्तिगत अनुभव को संकेतित करती है। भाववाचक संज्ञाएँ हमें व्यक्तियों के आंतरिक स्थिति, उनकी भावनाओं और भावों के बारे में सूचना देती हैं।
यहां कुछ उदाहरण भाववाचक संज्ञाओं के दिए जाते हैं:
- प्यार (Pyar) – love
- खुशी (Khushi) – happiness
- दुःख (Dukh) – sadness
- अभिमान (Abhiman) – pride
- निराशा (Nirasha) – disappointment
- आशा (Asha) – hope
- विश्वास (Vishwas) – trust
- संघर्ष (Sangharsh) – struggle
- आनंद (Anand) – joy
- उत्साह (Utsah) – enthusiasm
- भय (Bhay) – fear
इन संज्ञाओं के द्वारा हम व्यक्तियों की भावनाएं और भावों को समझ सकते हैं और उनकी आंतरिक स्थिति और मनोभाव के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya)
जातिवाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जो किसी व्यक्ति या वस्तु की जाति (कुल, जाति, धर्म, जातिवर्ग) को प्रदर्शित करती है। यह संज्ञा व्यक्ति या वस्तु की सामाजिक, धार्मिक, या नैतिक जाति को संकेतित करती है। जातिवाचक संज्ञाएँ सामाजिक वर्गीकरण में महत्वपूर्ण होती हैं और व्यक्ति या वस्तु की पहचान में मदद करती हैं।
यहां कुछ उदाहरण जातिवाचक संज्ञाओं के दिए जाते हैं:
- ब्राह्मण (Brahman) – Brahmin
- क्षत्रिय (Kshatriya) – Kshatriya
- वैश्य (Vaishya) – Vaishya
- शूद्र (Shudra) – Shudra
- दलित (Dalit) – Dalit
- मुसलमान (Muslaman) – Muslim
- हिंदू (Hindu) – Hindu
- सिख (Sikh) – Sikh
- ईसाई (Isai) – Christian
- जैन (Jain) – Jain
- बौद्ध (Buddh) – Buddhist
इन संज्ञाओं के द्वारा हम व्यक्ति या वस्तु की जाति को पहचान सकते हैं और उसके संबंध में सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक आदि तत्वों को समझ सकते हैं। हालांकि, महत्वपूर्ण यहां है कि जातिवाचक संज्ञाएँ किसी व्यक्ति के सामाजिक और मानसिक मान्यताओं और संगठन के परिधान के आधार पर नहीं करनी चाहिए। व्यक्तिगतता का सम्मान और सामाजिक भाईचारे को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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