प्रतीप अलंकार किसे कहते है | Pratip Alankar Kise Kahte Hai
“प्रतीप अलंकार” (Pratip Alankar) को हिंदी शास्त्र में “अनुप्रास अलंकार” भी कहा जाता है। यह एक ऐसा शब्द-रचना का रूप है जिसमें कोई एक या एक से अधिक विशेष ध्वनि, वर्ण, या अक्षर दोहराए जाते हैं। इसका उद्देश्य विशेष प्रकार की सौंदर्य, मधुरता, या ध्वनि के सुंदरता को बढ़ाना होता है।
इसका उपयोग कविता, गीत, और अन्य साहित्यिक रचनाओं में किया जाता है ताकि पठक या श्रोता को विशेष ध्वनि या वर्ण की मधुरता का आनंद लेने में मदद मिले।
एक उदाहरण के रूप में, यदि हम कहें:
“मधुर वचनों से मीठे बोल रहा है गाता गाता,”
तो “मीठे बोल” और “गाता गाता” शब्दों में प्रतीप अलंकार का उपयोग हो रहा है, जिससे ध्वनि की मधुरता को बढ़ावा दिया गया है।
प्रतीप अलंकार की परिभाषा | Pratip Alankar Ki Paribhasha
“प्रतीप अलंकार” (Pratip Alankar) का अर्थ होता है किसी शब्द, वर्ण, या ध्वनि को एक विशेष ढंग से दोहराना या पुनरावृत्ति करना ताकि वाक्य या शेर में उसकी मधुरता, सौंदर्य, या ध्वनि की महत्ता को बढ़ावा दिया जा सके। प्रतीप अलंकार का प्रयोग हिंदी साहित्य में और भी अन्य भाषाओं के साहित्य में भी किया जाता है।
यह अलंकार कविता, गीत, और अन्य साहित्यिक रचनाओं में काव्य रूप में उपयोग किया जाता है, जिससे उन्हें आकर्षक और मधुर बनाया जा सकता है।
इसका उदाहरण देने के लिए, निम्नलिखित वाक्य में प्रतीप अलंकार का उपयोग किया गया है:
- “श्याम चमकते तारों से मीठे बोले बोल,
आओ चलें साथ हम राहों पर मिलकर खोल।”
इस उदाहरण में, “मीठे बोल” और “बोले बोल” वाक्यांश में प्रतीप अलंकार का प्रयोग किया गया है, जिससे वाक्य में मधुरता और सौंदर्य बढ़ाया गया है।
प्रतीप अलंकार के भेद | Pratip Alankar Ke Bhed
प्रतीप अलंकार Pratip Alankar के विभिन्न भेद हो सकते हैं, जो विशेष प्रकार की ध्वनियों और वर्णों की पुनरावृत्ति को दर्शाते हैं। यहां प्रतीप अलंकार के कुछ मुख्य भेद हैं:
- वर्ण प्रतीप अलंकार: इसमें कोई विशेष वर्ण या वर्णों की पुनरावृत्ति होती है। उदाहरण के लिए, “मल्लिका” शब्द में ल का पुनरावृत्ति किया जा सकता है ताकि वह “मल्लिका-लिका” हो जाए, जिससे ध्वनि की मधुरता को बढ़ावा मिलता है।
- वर्णमाला प्रतीप अलंकार: इसमें कुछ वर्णों की पुनरावृत्ति करके एक वर्णमाला बनाई जाती है। उदाहरण के लिए, “राधा” शब्द में “रा” और “ध” को पुनरावृत्ति किया जा सकता है, जिससे “राधा-धा” हो जाए, और इससे ध्वनि की मधुरता को बढ़ावा मिलता है।
- अक्षर प्रतीप अलंकार: इसमें कोई विशेष अक्षर या अक्षरों की पुनरावृत्ति होती है। उदाहरण के लिए, “चन्दन” शब्द में “न” को पुनरावृत्ति करके “चन्दनन” बनाया जा सकता है, जिससे ध्वनि की मधुरता को बढ़ावा मिलता है।
- स्वर प्रतीप अलंकार: इसमें किसी स्वर की पुनरावृत्ति होती है, जैसे कि आ, ई, उ, ए, ओ, और अन्य स्वरों की।
ये हैं प्रतीप अलंकार Pratip Alankar के कुछ मुख्य भेद, जिनमें शब्दों और ध्वनियों की पुनरावृत्ति के विभिन्न तरीके होते हैं जो साहित्यिक रचनाओं में मधुरता और सौंदर्य को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग होते हैं।
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प्रतीप अलंकार के उदाहरण | Pratip Alankar Ke Udaharan
यहां कुछ प्रतीप अलंकार के उदाहरण (Pratip Alankar Ke Udaharan) हैं:
वर्ण प्रतीप अलंकार:
- वनमाला (वन + माला)
- सर्पराज (सर्प + राज)
- कविताकार (कवि + ताकार)
वर्णमाला प्रतीप अलंकार:
- अर्जुन (अ + र + जु + न)
- लक्ष्मी (ल + क्ष + म + ी)
- श्रीकृष्ण (श + र + ी + क + ृ + ष + ण)
अक्षर प्रतीप अलंकार:
- गंगा (ग + ं + ग + ा)
- बालक (ब + ा + ल + क)
- प्रेम (प + ् + र + े + म)
स्वर प्रतीप अलंकार:
- सूरज (स + ू + र + ज)
- वीर (व + ी + र)
- रागिनी (रा + गि + नी)
इन उदाहरणों में, वर्ण, वर्णमाला, अक्षर, और स्वरों की पुनरावृत्ति का प्रतीप अलंकार का प्रयोग हुआ है, जिससे शब्दों की मधुरता और सौंदर्य को बढ़ावा दिया गया है।
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