Koshika Kise Kahte Hai | कोशिका और कोशिकांगकिसे कहते हैं?

कोशिका किसे कहते हैं? | Koshika Kise Kahte Hai

Koshika Kise Kahte Hai:- कोशिका एक जीवाणु का सबसे छोटा फांग या इकाई होता है। यह जीवाणु के शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है जो उसके ऊतकों को संचालित करता है और उन्हें जीवित रखने में मदद करता है। कोशिकाएं बहुत छोटी होती हैं, सामान्यतः दृष्टिगोचर नहीं होतीं और उन्हें माइक्रोस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। कोशिकाएं एक सेल से बनी होती हैं और जीवाणु के शरीर के विभिन्न भागों के लिए विशेष भूमिकाएं निभाती हैं।

कोशिका की खोज | Koshika Ki Khoj

कोशिका की खोज रोबर्ट हुक (Robert Hooke) द्वारा 1665 में की गई थी। उन्होंने एक पत्रिका में अपने महत्वपूर्ण अध्ययनों का वर्णन किया, जिसमें उन्होंने लंबी लघुता के मध्य में स्थित बहुत से छोटे-छोटे खुले सेलों की तस्वीरें दीं। उन्होंने उन सेलों को “कोशिका” नाम दिया जो उस समय नया शब्द था।

इसके बाद, लगभग 150 साल बाद, मत्तियो बचो (Matthias Schleiden) और थियोडोर श्वान (Theodor Schwann) ने 1838 में स्पष्ट किया कि सभी जीवों का शरीर कोशिकाओं से बना होता है और इससे सेल सिद्धांत की शुरुआत हुई। इससे पहले लोग सोचते थे कि जीवों के शरीर अनंत होते हैं और एक बड़ी एकता के रूप में कार्य करते हैं।

मृत कोशिका (डेड सेल्स) क्या है? | Mrit Koshika Kya Hai

मृत कोशिका, जिसे अंग्रेजी में डेड सेल्स (Dead cells) कहते हैं, एक ऐसी सेल होती है जो अपने कार्यों के लिए मृत हो गई होती है। इसका मतलब होता है कि उस सेल में उसके कार्यों के लिए आवश्यक जीवाणुओं और अन्य संचारक तत्वों की संरचना और कार्य करने की क्षमता खत्म हो गई होती है।

मृत कोशिकाएं उपलब्ध खाद्य स्रोत के रूप में उपयोगी होती हैं और एक शरीर के विभिन्न अंगों में स्थित होती हैं। उन्हें प्रतिरक्षण प्रक्रियाओं और रोगों से लड़ने में मदद मिलती है। जब मृत कोशिकाएं उनके स्थान से हट जाती हैं, तो नई सेलों के लिए जगह बनती है और शरीर के संरचन में नए कोशिकीय अंग बनते हैं।

Koshika Kise Kahte Hai | कोशिका और कोशिकांगकिसे कहते हैं?

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कोशिका झिल्ली और कार्य | Koshika Jhilli Or Karya

कोशिका झिल्ली एक जैविक मेम्ब्रेन होती है जो अधिकतर कोशिकाओं को घेरती है और उन्हें बाहरी पर्यावरण से अलग रखती है। इसके अलावा, कोशिका झिल्ली सेल की संरचना और कार्यों को संभालती है। इसे सेल मेम्ब्रेन भी कहा जाता है।

कोशिका झिल्ली सेल के अंदर स्थित संरचनाएं और मोलेक्यूल की विविधता इसे उसके कार्यों को संभालने में मदद करती है। यह निम्नलिखित कार्यों को संभालती है:

  • सेल की संरचना को संभालना: कोशिका झिल्ली सेल को आकार और फॉर्म देने में मदद करती है।
  • सेल की सुरक्षा प्रदान करना: कोशिका झिल्ली सेल उस सेल को बाहरी घातों से बचाती है जो उसके भीतर नहीं प्रवेश करने देती है।
  • मोलेक्यूलों को सेल के अंदर से और बाहर ले जाना: कोशिका झिल्ली सेल को मोलेक्यूलों को अपने अंदर और बाहर ले जाने में मदद करती है, जिससे सेल के कार्यों को संभाला जा सकता है।
  • सेल की दीवार को संभालना: कोशिका झिल्ली सेल सेल की दीवार को संभालने में मदद करती है और उसे मजबूत बनाती है ताकि सेल को बाहरी घातों से बचाया जा सके।
  • सेल की परिभाषा और अंतर्निहित घटकों के संचालन में मदद करना: कोशिका झिल्ली सेल सेल की परिभाषा और सेल के अंतर्निहित घटकों के संचालन में मदद करती है जो सेल के उचित कार्यों को संभालते हैं।

इन सभी कार्यों के अलावा, कोशिका झिल्ली सेल अन्य कोशिकाओं से संचरण और आपसी संवाद को संभालती है ताकि समूह के कार्यों को संभाला जा सके। इसलिए, कोशिका झिल्ली सेल सेल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है और सेल के विभिन्न कार्यों को संभालने में मदद करती है।

कोशिकांग किसे कहते हैं? और सिद्धांत | Koshikang Kise Kahte hai

“कोशिकांग” शब्द कोशिका और लोगों के बीच की एक विशेष प्रकार की संवाद तंत्र को दर्शाता है। इस संवाद तंत्र के द्वारा, कोशिकांग नामक दो कोशिकाओं के बीच एक प्रकार की सीमित संचरण संभव होती है।

इस सिद्धांत को पहली बार उत्पन्न करने वाले स्विस जीवविज्ञानी एडमुंड बेवरी ने 1920 के दशक में एक शोध के दौरान इसे खोजा था। बेवरी ने कार्यक्रम को दो कोशिकाओं के बीच चलाया था, जो उन्हें संवाद करने में सक्षम थे। इस संवाद को बेवरी ने “कोशिकांग” नाम दिया था।

अब तक, कोशिकांग का सिद्धांत विभिन्न जीवन विज्ञान के क्षेत्रों में उपयोग किया गया है, जैसे कि फेफड़ों के बीच गैस विनिमय, संवेदनशील श्वसन मार्ग, दंत में नसों का संवाद आदि। इस सिद्धांत के उपयोग से हमें यह जानकारी मिलती है कि कैसे दो कोशिकाएं आपस में संवाद करती हैं और कैसे वे एक दूसरे से संचरण करती हैं।

कोशिका के प्रकार | Koshika Ke Prakar

वैज्ञानिक रूप से, कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार की होती हैं और ये उनकी संरचना, कार्य और स्थान के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत की जा सकती हैं। निम्नलिखित हैं कुछ मुख्य कोशिका के प्रकार:

  • यकृत कोशिकाएँ: ये कोशिकाएँ यकृत के समूह के हिस्से होती हैं जो खून के उत्सर्जन और पुनर्जीवन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • मस्तिष्क कोशिकाएँ: मस्तिष्क कोशिकाएँ अधिकांश ज्ञान का केंद्र होती हैं जो हमें विभिन्न कार्यों जैसे भाषा, सोच और निर्णय लेने में सक्षम बनाती हैं।
  • मांसपेशियों की कोशिकाएँ: मांसपेशियों की कोशिकाएँ जिम्मेदार होती हैं शरीर के अंगों को अंदर से मजबूत बनाने और उन्हें शक्तिशाली बनाने के लिए।
  • न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाएँ): न्यूरॉन्स शरीर के नर्व सिस्टम के अहम अंग होते हैं जो विभिन्न प्रकार की संवेदनाओं को उत्पन्न करते हैं।
  • रक्त कोशिकाएँ: रक्त कोशिकाएँ शरीर में ऑक्सीजन और डायबिटिक लोगों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाती हैं।
  • एपिथीलियल कोशिकाएँ: एपिथीलियल कोशिकाएँ शरीर के विभिन्न अंगों के ऊपर की सतहों को आवरण करती हैं जैसे कि त्वचा, मलत्याग, फेफड़ों, अंतःस्रावी तंतु, आंत आदि।
  • ग्रंथि कोशिकाएँ: ग्रंथि कोशिकाएँ शरीर के विभिन्न अंगों के अंदर होती हैं और विभिन्न हार्मोनों के उत्पादन में मदद करती हैं जो शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करते हैं।
  • लिम्फोसाइट्स: लिम्फोसाइट्स शरीर के लिम्फ सिस्टम के हिस्से होते हैं जो शरीर की संरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये विभिन्न प्रकार के संक्रमणों और अन्य रोगों से लड़ने में मदद करते हैं।
  • स्पर्मटोजोएड: स्पर्मटोजोएड नर प्रजनन सिस्टम के हिस्से होते हैं जो गर्भनाल में शुक्राणुओं को उत्पन्न करते हैं
  • उत्पादक कोशिकाएँ: उत्पादक कोशिकाएँ विभिन्न विषाणुओं और समुद्री जीवों में पाई जाती हैं जो विभिन्न प्रकार के तत्वों का उत्पादन करती हैं।
  • आणविक कोशिकाएँ: आणविक कोशिकाएँ विभिन्न आणविक प्रक्रियाओं में शामिल होती हैं, जैसे कि फोटोसिंथेसिस, जोड़-तोड़, और उत्पादन।
  • समरस कोशिकाएँ: समरस कोशिकाएँ स्पंज जैसे समस्त समुद्री जीवों में पाई जाती हैं और जीवों को शाकाहारी खाद्य से आहार प्रदान करती हैं।

ये कुछ प्रमुख कोशिका प्रकार हैं, हालांकि इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार के कोशिकाएं होती हैं जो विभिन्न जीवों में पाई जाती हैं।

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